श्रेयस तलपड़े ने हाल ही में अपने दिल का दौरा पड़ने का चौंकाने वाला अनुभव साझा किया और इस खबर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस खबर के बाद से ही सोशल मीडिया पर ये सवाल खूब उछला – क्या उन्हें ये हार्ट अटैक कोविड-19 वैक्सीन लेने की वजह से आया था? दरअसल, तलपड़े ने एक इंटरव्यू में बताया कि महामारी के बाद से कम उम्र के लोगों में भी दिल का दौरा पड़ने के मामले सामने आ रहे हैं, जो पहले कम देखने को मिलते थे।
क्या है श्रेयश तलपड़े के हार्ट अटैक का मामला?
दिसंबर 2023 में फिल्म ‘वेलकम टू द जंगल’ की शूटिंग के दौरान एक जबरदस्त सीन फिल्माया जा रहा था, जिसमें उन्हें पानी में कूदना था। उसी दौरान उन्हें अचानक बेचैनी महसूस हुई। सांस लेने में तकलीफ होने लगी और बायां हाथ भी सख्त हो गया। ये अचानक हुए लक्षण उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास ले गए, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा हुआ पाया गया।
दिलचस्प बात ये है कि तलपड़े खुद भी ये जानने के लिए उत्सुक हैं कि उनकी बीमारी की असली वजह क्या थी – कोविड-19 वायरस खुद या फिर महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर लगाई गईं वैक्सीन? उन्होंने बताया कि 30-40 साल की उम्र के कई स्वस्थ दिखने वाले लोगों को भी अचानक दिल से जुड़ी परेशानियां हुई हैं, जिससे ये सवाल और भी मजबूत हो जाता है कि क्या इसका कोई संबंध वैक्सीन से हो सकता है।
हालांकि, तलपड़े ने ये भी माना कि वैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें थकान और कमजोरी महसूस हुई थी, लेकिन वो ये साफ नहीं कर पाए कि उनकी बीमारी का असली कारण क्या है। उन्होंने किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले ठोस सबूतों और जानकारी की मांग की। उनके मुताबिक, अभी ये कहना मुश्किल है कि उनकी बीमारी कोविड-19 से जुड़ी है या फिर वैक्सीन की वजह से हुई।
इस बीच, कोविड वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में से एक एस्ट्राजेनेका ने भी कोर्ट के दस्तावेजों में ये माना है कि एहतियातों के बावजूद दिल का दौरा पड़ने की असल वजह अभी भी एक रहस्य है। कंपनी के इस बयान ने वैक्सीन और दिल की बीमारी के बीच संभावित संबंध को लेकर बहस को और हवा दे दी है।
श्रेयस तलपड़े का अनुभव वैक्सीन के लोगों पर पड़ने वाले असर को और अच्छे से समझने की जरूरत को रेखांकित करता है। उनकी ये घटना याद दिलाती है कि भले ही वैक्सीन ने महामारी से लड़ने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन इसके संभावित दुष्प्रभावों और व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर इसके असर को लेकर अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है। इसी कड़ी में आइये जानते है कि इस मामले पर विज्ञानं क्या कहता है ।
क्या कहता है विज्ञान?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाओं के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी हैं। इन वैक्सीनों के व्यापक परीक्षण किए गए हैं और इन्हें आपातकालीन उपयोग की स्वीकृति मिलने से पहले इनकी सुरक्षा और प्रभावशीलता साबित की गई है।
हालांकि, किसी भी दवा की तरह वैक्सीन के भी कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे दर्द, बुखार या थकान। ये आमतौर पर हल्के होते हैं और कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। गंभीर साइड इफेक्ट्स बेहद दुर्लभ हैं।
वहीं, हार्ट अटैक के कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं – अस्वस्थ जीवनशैली, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, मोटापा और जेनेटिक रिस्क फैक्टर्स। अभी तक किसी भी वैज्ञानिक शोध में ये साबित नहीं हुआ है कि कोविड-19 वैक्सीन से हार्ट अटैक का सीधा संबंध है।
कोविड-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच संबंध का अध्ययन लगातार जारी है। कुछ शुरुआती अध्ययनों में ये पाया गया है कि कुछ खास वैक्सीन, बेहद कम मामलों में, मायोकार्डिटिस (myocarditis) नामक हृदय की सूजन का कारण बन सकती हैं। मायोकार्डिटिस आमतौर पर हल्का होता है और जल्दी ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में ये गंभीर भी हो सकता है। हालांकि, ये जोखिम बहुत कम है और कोविड-19 संक्रमण से होने वाले हृदय संबंधी नुकसान के खतरे की तुलना में काफी कम है। कोविड-19 वायरस खुद ही हृदय को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और मायोकार्डिटिस समेत कई तरह की हृदय संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
श्रेयस तलपड़े के मामले में सच्चाई क्या है? (The Truth Behind Shreyas Talpade’s Case)
श्रेयस तलपड़े की उम्र 47 साल है। इस उम्र में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, उनके परिवार में हार्ट अटैक का कोई इतिहास रहा है या नहीं, इस बारे में सार्वजनिक रूप से कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें कोलेस्ट्रॉल की समस्या थी, लेकिन वो दवाइयां ले रहे थे।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ये कहना मुश्किल है कि तलपड़े को कोविड-19 वैक्सीन की वजह से ही हार्ट अटैक आया। उनकी बीमारी के असल कारणों का पता लगाने के लिए उनके मेडिकल रिकॉर्ड्स की गहन जांच जरूरी है, जो कि निजी जानकारी होती है।
लेकिन, इस मामले से हमें कुछ सीख लेने की जरूरत है। सबसे पहली सीख ये है कि किसी भी बीमारी, खासकर हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी के मामले में सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। अफवाहें अक्सर गलत जानकारी फैलाती हैं और लोगों को भ्रमित करती हैं।
मीडिया की भी बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वो स्वास्थ्य संबंधी खबरों की रिपोर्टिंग करते समय सावधानी बरते। सनसनीखेज खबरें बनाने के चक्कर में गलत जानकारी फैलाना खतरनाक हो सकता है। हर खबर को वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर परखा जाना चाहिए। विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए, ताकि पाठकों को सही और सटीक जानकारी मिल सके।
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