What is Nowruz in Islam: हर साल की तरह, इस साल भी हम एक नए आरंभ की तैयारी में हैं, क्या आप जानते हैं कि मुसलमान इसे कैसे देखते हैं? नवरोज़ मनाना इस्लाम में ठीक है या नहीं, इस पर अक्सर बहस होती रहती है। तो चलिए आज इसी सवाल का जवाब ढूंढते हैं।
क्या है नवरोज़? (What is Nowruz)
नवरोज़, जिसे ‘नया दिन’ के रूप में जाना जाता है, पर्सियन, अफगान, और बहुत से अन्य समुदायों में एक महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण त्योहार है। नवरोज वसंत ऋतु के आगमन का जश्न मनाने वाला एक प्राचीन त्योहार है। जो कि सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने का समय होता है। जब प्रकृति नई ऊर्जा से भर जाती है। यह त्योहार विशेष रूप से नवीनतम फसलों के आगमन की स्थिति में मनाया जाता है। यह नववर्ष की शुरुआत होती है और नए उत्साह और आनंद के साथ नए साल का स्वागत किया जाता है।
नवरोज़ कैसे मनाया जाता है?
- नवरोज़ लोग रंगीन कपड़े पहनते हैं और घरों को सजाते हैं।
- स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें सेवईं, प्लोव और माज़ुदा सबसे लोकप्रिय हैं।
- परिवार और दोस्त मिलकर भोजन करते हैं और खुशियां बांटते हैं।
- लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं और नए साल के लिए शुभकामनाएं देते हैं।
- कुछ लोग परंपरागत नृत्य करते हैं और संगीत का आनंद लेते हैं।
नवरूज के दिनों को खुशियों के साथ मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों का सामान बांटते हैं, परिवार और मित्रों के साथ भोजन करते हैं, और रंग-बिरंगे उत्साह और उत्सव मनाते हैं और लोग नए साल की शुरुआत में नए संकल्प लेते हैं।
नवरोज क्यों मनाया जाता है?
नवरोज़ मनाने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
- वसंत ऋतु का आगमन: नवरोज़ वसंत ऋतु के आरंभ का प्रतीक है। यह प्रकृति के नवीनीकरण और जीवन में नई शुरुआत का उत्सव है। लोग रंगीन कपड़े पहनते हैं, घरों को सजाते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं।
- नया साल: नवरोज़ ईरानी नव वर्ष है, जो 21 मार्च के आसपास मनाया जाता है। यह प्राचीन फारसी सभ्यता से जुड़ा हुआ है और सदियों से मनाया जा रहा है।
- सांस्कृतिक महत्व: नवरोज़ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह ईरानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह परिवार, दोस्तों और समुदाय के साथ मिलकर खुशियां मनाने का अवसर प्रदान करता है।
- ऐतिहासिक महत्व: नवरोज़ का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह विभिन्न राजवंशों और साम्राज्यों के दौरान मनाया जाता रहा है।
- धार्मिक महत्व: कुछ लोगों के लिए नवरोज़ धार्मिक महत्व भी रखता है। ज़ोरोस्ट्रियनिस्म में, यह दिन अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष का प्रतीक माना जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मान्यता: नवरोज़ सिर्फ ईरान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे कई अन्य देशों में भी मनाया जाता है, जिनमें अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्की शामिल हैं।
नवरोज़ का इतिहास
- नवरोज़ की शुरुआत प्राचीन फारसी सभ्यता में हुई थी।
- नवरोज़ ज़रथुष्ट्रवाद धर्म से भी जुड़ा हुआ है।
- सदियों से, इसे विभिन्न राजवंशों और साम्राज्यों द्वारा मनाया जाता रहा है।
- आज, नवरोज़ सिर्फ ईरान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरोज़ त्यौहार किस धर्म द्वारा मनाया जाता है? (Navroz festival is celebrated by which religion)
नवरोज़ त्यौहार किसी एक धर्म द्वारा विशेष रूप से नहीं मनाया जाता है। यह विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- पारसी धर्म: नवरोज़ पारसी धर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह उनके नव वर्ष का प्रतीक है और वे इसे बहुत धूमधाम से मनाते हैं।
- ज़ोरोस्ट्रियनिस्म : नवरोज़ की जड़ें ज़ोरोस्ट्रियनिस्म धर्म में हैं। ज़रथुष्ट्रवादियों के लिए यह दिन अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष का प्रतीक माना जाता है।
- इस्लाम: हालांकि नवरोज़ का इस्लाम में कोई विशेष उल्लेख नहीं है, लेकिन कई मुस्लिम देशों में इसे सांस्कृतिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- अन्य संस्कृतियाँ: नवरोज़ ईरान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्की जैसे कई देशों में मनाया जाता है। इन देशों में, यह विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का मिश्रण बन गया है।
क्या है नवरोज़ का महत्व?
- नवरोज़ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह नई शुरुआत का प्रतीक है।
- यह लोगों को अतीत की गलतियों को भूलकर भविष्य की ओर देखने के लिए प्रेरित करता है।
- यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर प्रदान करता है।
- नवरोज़ सांस्कृतिक एकता और सौहार्द का प्रतीक भी है।
क्या इस्लाम नवरोज़ मानाने की इजाज़त देता है?
इस्लाम में किसी खास त्योहार को मनाने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। सिर्फ दो ही प्रमुख त्योहार हैं – ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अधा – जिन्हें सभी मुसलमान मनाते हैं। नवरोज़ को लेकर कुछ विद्वानों का मानना है कि चूंकि इसकी शुरुआत किसी इस्लामिक परंपरा से नहीं हुई, इसलिए इसे मनाना गैर-जरूरी है।
वहीं, दूसरे विद्वानों का कहना है कि नवरोज़ खुशियों और नई शुरुआत का प्रतीक है। इसमें परिवार के साथ मिलना-जुलना, स्वादिष्ट भोजन बनाना और सकारात्मक माहौल बनाना शामिल है, ये सब इस्लाम के मूल्यों के खिलाफ नहीं जाते।
आखिर में फैसला आपका
नवरोज़ मनाना पूरी तरह आपकी व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करता है। अगर आप इसे सांस्कृतिक परंपरा के तौर पर देखते हैं और इसमें कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं शामिल करते, तो इसे मनाने में कोई बुराई नहीं है।
एकजुटता का प्रतीक : चाहे आप नवरोज़ मनाएं या ना मनाएं, ये त्योहार हमें एक चीज जरूर सिखाता है – खुशियों को बांटना। ईरान समेत कई मुस्लिम देशों में इसे धर्म से ऊपर उठकर मनाया जाता है, ये एकता और सौहार्द का खूबसूरत उदाहरण है।
तो दोस्तों इस लेख में हमने जाना की What is Nowruz in Islam और क्यों मनाया जाता है? जाने क्या इस्लाम नवरोज़ मानाने की इजाज़त देता है? आशा है लेख आपको पसंद आया होगा।
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