कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने हाल ही में बेंगलुरु के एक मदरसे के ट्रस्टी के खिलाफ बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत चल रही कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया। यह मामला ट्रस्टी द्वारा एक छात्र के यौन शोषण की रिपोर्ट न करने से जुड़ा है, जिसे मदरसे के दो शिक्षकों ने कथित तौर पर प्रताड़ित किया था।
यह आदेश 2 दिसंबर को न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की पीठ ने पारित किया था, जिसकी प्रति हाल ही में उपलब्ध कराई गई।
आरोप है कि मदरसे में पढ़ने वाले 11 वर्षीय छात्र को 2023 में दो शिक्षकों द्वारा कई बार यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। जब छात्र ने मदरसे लौटने से इनकार किया, तो उसके पिता को इस शोषण के बारे में पता चला और उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में दो शिक्षकों के साथ-साथ ट्रस्टी पर भी POCSO अधिनियम की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया, जो अपराध में सहायक होने और घटना की रिपोर्ट न करने से संबंधित है।
ट्रस्टी के वकील ने तर्क दिया कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं थी, और जब मामला सामने आया तो उन्होंने अपराध दर्ज कराने की कोशिश की। वहीं, सरकारी वकील ने कहा कि ट्रस्टी को घटनाओं की जानकारी थी और उन्होंने इसकी सूचना नहीं देकर अपराध को दोहराने का मौका दिया, जिससे पीड़ित छात्र को बार-बार प्रताड़ित किया गया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ित ने बयान दिया था कि उसने ट्रस्टी और अन्य लोगों को घटना की जानकारी दी थी, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। न्यायालय ने कहा, “यदि पीड़ित के बयान पर गौर किया जाए, तो यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ट्रस्टी ने घटना की रिपोर्ट करने में विफलता दिखाई। यह विफलता न केवल अपराध को उजागर करती है, बल्कि यह अधिनियम की धारा 21 के तहत दंडनीय है। अपराध इतने भयावह और जघन्य थे कि ट्रस्टी को घटना की जानकारी मिलते ही रिपोर्ट करनी चाहिए थी। उनका यह बचाव कि उन्हें जानकारी नहीं थी, स्वीकार्य नहीं है।”
पीठ ने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसले यह स्पष्ट करते हैं कि अधिनियम के तहत अपराधों की रिपोर्ट करना सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो बाल यौन शोषण या बलात्कार के अपराधी कानून के चंगुल से बच सकते हैं। इस मामले में तथ्य यह दर्शाते हैं कि घटना की रिपोर्ट न करना एक गंभीर अपराध है, क्योंकि मुख्य आरोपी, यानी शिक्षक, द्वारा किए गए अपराध इतने भयानक हैं कि उनका दोहराव समाज के मनोविज्ञान पर गहरा प्रभाव डालता है।”
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