अंतरिक्ष में मानव शरीर कैसे बदलता है, यह विज्ञान के लिए हमेशा से एक रोचक विषय रहा है। एक प्रमुख बदलाव जो अंतरिक्ष यात्रियों में देखा जाता है, वह उनकी ऊंचाई में अस्थायी वृद्धि है। शोध से पता चलता है कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्री लगभग 3% तक लंबे हो सकते हैं। एक 6 फुट लंबे व्यक्ति के लिए, यह लगभग 2 इंच (5 सेंटीमीटर) की वृद्धि के बराबर होता है। तो क्या वाकई अंतरिक्ष में इंसान लंबा हो जाता है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
ऊंचाई में वृद्धि का कारण
पृथ्वी पर, हमारे शरीर पर लगातार गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव रहता है, जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। रीढ़ की हड्डी के कशेरुकाओं (vertebrae) के बीच स्थित इंटरवर्टेब्रल डिस्क्स (intervertebral discs) इस दबाव को सहन करती हैं और उनके फैलाव की सीमा तय करती हैं।
लेकिन अंतरिक्ष में माइक्रोग्रेविटी (माइक्रोग्रेविटी का मतलब अत्यंत कम गुरुत्वाकर्षण होता है) के कारण यह दबाव कम हो जाता है। इसके कारण, डिस्क्स अधिक तरल को अवशोषित कर पाती हैं और फैल जाती हैं, जिससे रीढ़ की लंबाई बढ़ जाती है। यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में रहते हुए कुछ हद तक लंबे दिखाई देते हैं।
NASA द्वारा किए गए हालिया शोध में अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करके अंतरिक्ष में रीढ़ की हड्डी में हो रहे इन परिवर्तनों की वास्तविक समय में निगरानी की गई है। यह तकनीक अंतरिक्ष में शरीर के अनुकूलन को समझने में सहायक है और अंतरिक्ष यात्रियों के पृथ्वी पर वापस लौटने पर पुनर्वास तकनीकों के विकास में मददगार साबित होती है।
ऊंचाई में वृद्धि का अवधि और समाप्ति
अंतरिक्ष में होने वाली ऊंचाई में वृद्धि अस्थायी होती है। अंतरिक्ष यात्री जब पृथ्वी पर वापस लौटते हैं, तो उनकी ऊंचाई कुछ महीनों के भीतर सामान्य हो जाती है क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण उनके शरीर पर फिर से प्रभाव डालने लगता है। इसके साथ ही, अंतरिक्ष यात्री कई अन्य शारीरिक परिवर्तनों की भी रिपोर्ट करते हैं जैसे कि बाल और नाखूनों की वृद्धि में तेजी और पैरों के तलवे पर कैलस का गायब होना। ये बदलाव अंतरिक्ष में माइक्रोग्रेविटी के कारण चलते हैं क्योंकि वहां चलने की गतिविधि न के बराबर होती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
हालांकि ऊंचाई में यह वृद्धि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रोचक हो सकती है, लेकिन इसके साथ कुछ स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां भी होती हैं। शोध से यह पता चला है कि पृथ्वी पर वापस लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को पीठ दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा रीढ़ की संरचना में हुए बदलावों और अंतरिक्ष में मांसपेशियों के क्षीण होने के कारण होता है। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में पीठ को सहारा देने वाली मांसपेशियों का क्षीण होना एक सामान्य समस्या है, जिसके कारण पृथ्वी पर लौटने के बाद इन मांसपेशियों को फिर से मजबूत करने की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
अंत में, यह सच है कि इंसान अंतरिक्ष में लंबा हो जाता है, लेकिन यह वृद्धि अस्थायी होती है। माइक्रोग्रेविटी के कारण रीढ़ की हड्डी फैल जाती है, जिससे ऊंचाई में वृद्धि होती है। हालांकि, यह बदलाव कुछ महीनों में सामान्य हो जाता है और इसके साथ कुछ अन्य शारीरिक बदलाव भी होते हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए चुनौतियां उत्पन्न कर सकते हैं। NASA और अन्य संस्थाएं इन बदलावों को समझने और उनकी निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही हैं ताकि अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके और अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशनों के लिए बेहतर तैयारी की जा सके।
इस प्रकार, अंतरिक्ष में ऊंचाई में यह वृद्धि विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है, जो न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को समझने में सहायक है बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी नई संभावनाओं के द्वार खोलता है।
आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि अंतरिक्ष में इंसान वाकई में लंबा क्यों और कैसे हो जाता है!
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